करवा चौथ का व्रत सुहागिन औरते मानती है. ये त्यौहार उत्तर भारत में ज़्यादातर मनाया जाता है.
हिंदी मान्यता के अनुसार करवा चौथ का व्रत कार्तिक मॉस के चौथे दिन मनाया जाता है. इसमें सुहागिन औरते अपने पति की लम्बी उम्र , तरक्की और अच्छे स्वस्थ्य की कामना करती है ताकि उनके पति को दुनिया की कोई परेशानी ना आए. ये व्रत बहोत कठिन होता है, इसमें बिना जल और भोजन किये पूरा दिन रहना पड़ता है और रात्रि में चाँद को छन्नी में देखकर अपने पति को उसी छन्नी में देखकर उनकी पूजा कर के व्रत का पारन करना होता है.
इस व्रत किस अलग अलग कथाएँ प्रसिद्ध है. जिसमे से एक महाभारत से जुडी है. द्रौपदी अपने पांडव पतियों की लम्बी उम्र, उन्नति की लिए ये व्रत करती थी. ये व्रत श्री कृष्ण ने द्रौपदी को रखने को बोला था और कहा था की ये व्रत पार्वती जी ने शिव जी की लम्बी उम्र के लिए रखा था.
ये व्रत स्त्रियों के लिये एक उत्सव की तरह है जिसमे स्त्रियाँ १६ श्रृंगार करती है और नए वस्त्र भी पहनती है और बहोत सी स्त्रियाँ एक साथ मिलकर पूजा समापन करके त्यौहार का आनंद लेती है. इस व्रत में घर की सास अपनी बहु को सरगी के साथ बहुत सारा आशीर्वाद भी देती है, ताकि उसका व्रत अच्छी तरह से पूर्ण हो सके.
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